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चैत्र नवरात्र-2019: मां शैलपुत्री की अर्चना से शुरुआत |
ShivaniHans,Chandigarh, 6April 2019, NewsRoots18
नवरात्रि-2019: आज नवरात्र का पहला दिन है। नवरात्र के पहले दिन
मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा से हिन्दू नववर्ष का शुभारंभ होता है। कहा जाता है
कि पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रुप में उत्पन्न होने के कारण मां दूर्गा का
नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री नंदी नाम के वृक्षभ पर सवार होती है और उनके
दाहिने हाथ में त्रिशूल और बांए हाथ में कमल का पुष्प होता है। मां शैलपुत्री के
पूजन से जीवन में स्थिरता औक दृढ़ता आती है। महिलाओं को मां की पूजा का विशेष लाभ
होता है। महिलाओं की पारिवारिक स्थिती, दांपत्य जीवन, कष्ट कलेश और बिमारियां मां
शैलपुत्री की पूजा से दूर हो जाती है।
मां शैलपुत्री की अर्चना के लाभ
- मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ती होती है और कन्याओं को उचित वर मिलता है।
- मां की अर्चना से मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है।
- शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है.
कैसे करें मां शैलपुत्री को प्रसन्न...
- नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री के विग्रह या चित्र को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
- मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु अति प्रिय है, इसलिए मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पण करें और सफेद बर्फी का भोग लगाएं।
- मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।
- नरवात्रि के प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते है।
- जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें।
किन बातों का ध्यान रखें
- मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना हमेशा साफ-सुथरे वस्त्र पहन कर पूजा करें।
- घर के हर कमरे में उजाला रखें।
- अपने घर में किसी भी महिला का तिरस्कार न करें।
मां शैलपुत्री की विशेष अर्चना
- एक साबुत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लौंग रखें।
- मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और एक सफेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें।
‘ॐ
शैलपुत्रये नमः’
मंत्र का 108 बार जाप करें।
- जाप के बाद सारी लौंग को कलावे से बांधकर माला का स्वरूप दें।
- अपने मन की इच्छा बोलते हुए यह लौंग की माला मां शैलपुत्री को दोनों हाथों से अर्पण करें।
रात्रि जागरण का महाउपाय
- 11 सफेद फूल लें और उन्हें एक प्लेट में चन्दन के इत्र के साथ रखें.
- मां शैलपुत्री के समक्ष देसी घी का दीया जलाकर सफेद आसन पर बैठें और निम्न मंत्र का 27 या 54 बार पाठ करें.
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम॥
- जाप के बाद सफेद फूल और चंदन मां भगवती को अर्पण करें.
इन सब उपायों को करने से ग्रह कलेश जैसी
परेशानियों का निवारण हो सुख-शांति आएगी और विवाह में आने वाली परेशानियों का समाधान होगा।
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