प्राइवेट स्कूलों के दरवाजे अब गरीबों के लिए बंद हो सकते हैं। आरटीई की सेक्शन 134 ए के तहत गरीब विद्यार्थियों को दाखिले देने वाले स्कूलों को हरियाणा सरकार ने आज तक एक पैसे का भी भुगतान नहीं किया है। प्राइवेट स्कूलों का दावा है कि साल 2011 से लेकर अब तक वह लगभग 50 हजार विद्यार्थियों को दाखिले दे चुके हैं। दाखिलों की भरपाई ना होने पर अब फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन इस मुद्दे को लेकर अदालत का दरवाजा भी खटखटाएगी। साथ ही इस सत्र में 134ए के तहत नए दाखिले न करने की चेतावनी भी दे दी है।
साल 2011 में सरकार ने राइट टू एजुकेशन कानून बनाकर 134 ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के दाखिलों का कोटा तय कर दिया था। सरकार के इस कदम की खासी तारीफ भी हुई थी, लेकिन सरकार का यह नया कानून प्राइवेट स्कूलों के गले की हड्डी बन गया है। निजी स्कूलों ने कानून और प्रशासन के दबाव में गरीब विद्यार्थियों को स्कूलों में दाखिले तो दे दिए लेकिन सरकार ने वादे के मुताबिक उन्हें विद्यार्थियों की फीस का भुगतान आज तक नहीं किया है। कानून के मुताबिक सरकार ने प्रत्येक बच्चे पर सरकारी स्कूल में आने वाली लागत को अधिकतम मानक मानते हुए यह भुगतान करने की बात कही थी। हालांकि न्यूनतम भुगतान निजी स्कूल की फीस के हिसाब से होना है। फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा का आरोप है कि सरकार ने आज तक हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 1 विद्यार्थी पर आने वाले खर्च का ब्यौरा ही नहीं दिया है और ना ही पिछले 7 साल में प्राइवेट स्कूलों में दाखिल हुए विद्यार्थियों की फीस का भुगतान किया है।
कुलभूषण शर्मा ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि प्राइवेट स्कूलों में नियम के अनुसार अपनी फीस के हिसाब से प्रति बच्चे के लिए फीस क्लेम की है। बाकायदा सरकार को बिल भी बना कर दे दिए गए हैं, लेकिन हरियाणा सरकार ने आज तक प्राइवेट स्कूलों को इन बिलों का भुगतान नहीं किया है। फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि अब प्राइवेट स्कूलों के सब्र का पैमाना छलक गया है और वह आगे विद्यार्थियों को दाखिला देने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में यदि सरकार उनके पिछले सात 7 साल का भुगतान नहीं करती है तो उन्हें अगले सत्र में 134 ए के तहत दाखिले बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। कुलभूषण शर्मा ने कहा कि बाकायदा शिक्षा मंत्री ने इस बारे में एक कमेटी का गठन करने की बात कही थी, लेकिन उससे भी सरकार पीछे हट रही है। अब अपने 7 साल के बकाया भुगतान के लिए प्राइवेट स्कूल अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। ऐसे में यदि सरकार कोई कड़ा कदम नहीं उठाती है तो आरटीई के तहत दाखिला लेने की आस में बैठे हजारों विद्यार्थियों के अरमानों पर पानी फिर सकता है।
दूसरी तरफ आचार संहिता लगने के कारण सरकार इस बारे में कोई नया ऐलान भी नहीं कर पाएगी। ऐसे में यह देखना होगा कि आखिर सरकार 134a को लागू करवाने के लिए कौन से जरूरी कदम उठाती है।
0 Comments